राजस्थान की सियासत में एक बार फिर से हलचल मच गई है, और इस बार इसकी वजह है पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे। हाल ही में दिए गए उनके बयानों ने पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर खलबली मचा दी है। इन बयानों को लेकर जहां विपक्षी दल बीजेपी में अंदरूनी कलह की बात कर रहे हैं, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। पिछले कुछ महीनों में वसुंधरा राजे के कई बयान सामने आए हैं, जिनसे उनकी नाराजगी स्पष्ट झलक रही है।
राजस्थान की राजनीति में भजनलाल शर्मा का उदय भी इस स्थिति को और जटिल बना रहा है। जब 12 दिसंबर 2023 को भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद की पर्ची थमाई गई, तो वसुंधरा राजे के चेहरे पर साफ़ तौर पर असंतोष नजर आया। यह असंतोष तब और बढ़ गया जब उन्होंने पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों से दूरी बनानी शुरू कर दी और जहां-जहां भी गईं, वहां से अपने बयानों के जरिए अपनी नाराजगी का इजहार किया।
वसुंधरा राजे का ये असंतोष केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है। राजस्थान के पिछले लोकसभा चुनावों में भी इसका असर देखने को मिला, जब उन्होंने केवल अपने बेटे दुष्यंत सिंह के चुनाव प्रचार तक ही खुद को सीमित रखा। इसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी को 25 में से 11 सीटें गंवानी पड़ीं।
राजे के हाल के तीन बयान इस पूरे मामले को और स्पष्ट कर रहे हैं:
- 3 अगस्त, 2024: बीजेपी के नए प्रदेशाध्यक्ष कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “राजनीति में पद और मद स्थायी नहीं होते, लेकिन कद आपके काम से बनता है और वही स्थायी होता है। पद का मद हो जाता है तो कद अपने आप कम हो जाता है।”
- 16 अगस्त, 2024: उदयपुर में जैन समाज के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “जियो और जीने दो के सिद्धांत को कुछ लोगों ने उलट दिया है। अब तो लोग खुद जीते हैं, लेकिन दूसरों को जीने नहीं देते। ऐसा करने वाले थोड़े समय के लिए खुश हो सकते हैं, लेकिन हमेशा के लिए सुखी नहीं रह सकते। जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे।”
- 3 सितंबर, 2024: वसुंधरा राजे ने कहा, “कई लोगों को पीतल की लौंग मिलते ही वे खुद को सर्राफ समझने लगते हैं। चाहत आसमान छूने की रखो, लेकिन पैर हमेशा जमीन पर रखने चाहिए।”
ये बयान न सिर्फ उनके मन की बात जाहिर करते हैं, बल्कि पार्टी के अंदरूनी हालात की ओर भी इशारा करते हैं। राजे के बयान सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत असंतोष और अपने कद को बनाए रखने की एक स्पष्ट कोशिश के रूप में देखे जा रहे हैं।
राजे का ये असंतोष क्या बीजेपी आलाकमान से है या फिर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कार्यशैली से, ये साफ़ तौर पर कहा नहीं जा सकता। लेकिन इतना जरूर है कि इन बयानों ने राजस्थान की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है।
बीजेपी का खेमा इसे बड़े नेताओं के बीच सिर्फ हंसी-मजाक का हिस्सा बताने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कांग्रेस ने इस मौके का फायदा उठाते हुए कहा है कि वसुंधरा राजे का निशाना सीधे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर है, क्योंकि सरकार के कामकाज को लेकर राज्य में असंतोष बढ़ रहा है।
इस सियासी उठापटक का अंत कहां होगा, ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि राजस्थान की राजनीति में ये बयानबाजी लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रहेगी।